चिकित्सा नियामक निकाय
परिचय
भारत सरकार ने नैदानिक प्रतिष्ठानों की विभिन्न श्रेणियों के पंजीकरण और विनियमन के लिए नैदानिक प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) अधिनियम, 2010 को अधिनियमित किया, ताकि इन नैदानिक प्रतिष्ठानों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के न्यूनतम मानकों को निर्धारित किया जा सके, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 47 के अधिदेश को प्राप्त किया जा सके।
सेवाओं का दायरा
यह अधिनियम नैदानिक सुविधा (सरकारी और निजी दोनों) की एक व्यापक डिजिटल रजिस्ट्री को अनिवार्य बनाता है, जो नीति निर्माण, बेहतर निगरानी, कार्रवाई और प्रकोपों तथा लोक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों के प्रबंधन के साथ-साथ निजी प्रदाताओं के साथ सहयोग में भी सहायता करेगी।
यह अधिनियम पूरे देश में स्वास्थ्य देखभाल के समान मानकों को सुनिश्चित करता है। न्यूनतम मानकों और मानक उपचार दिशानिर्देशों का अनुपालन स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करेगा और स्वास्थ्य प्रणाली में रोगी का विश्वास बढ़ाएगा।
संस्थागत प्रणालियों (राष्ट्रीय और राज्य परिषद, जिला पंजीकरण प्राधिकरण) में बहु-हितधारक भागीदारी है, और निर्णय सर्वसम्मति से किए जाते हैं।
इस अधिनियम में आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों के बेहतर प्रबंधन का भी प्रावधान है। यह अधिनियम राज्य सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर कार्यान्वयन के लिए नैदानिक प्रतिष्ठानों के लिए एक राज्य परिषद और जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में जिला स्तर पर पंजीकरण प्राधिकरण का प्रावधान करता है, जिसे अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में दंड देने सहित कार्रवाई करने का अधिकार है।
सीईआरआरएस का नया पोर्टल (ओपन सोर्स) विकसित किया जा रहा है, जिसमें शामिल हैं-
ऑनलाइन अनंतिम और स्थायी पंजीकरण
ऑनलाइन शिकायत निवारण तंत्र
ऑनलाइन भुगतान-शुल्क/दंड
पंजीकरण प्रमाणपत्र का नवीनीकरण
दस्तावेज़ अपलोड करने की सुविधा
सूचना सांख्यिकी का संग्रहण
विभिन्न श्रेणियों के लिए लंबित न्यूनतम मानकों की अधिसूचना मरीजों के अधिकारों का कार्यान्वयन के साथ-साथ उचित रेफरलऔर स्थानांतरण का अधिकार और शिकायत निवारण ।